गुरुदेव का समास विग्रह ( Gurudev ka samas vigrah ) नीचे दिया गया है |
शब्द | समास विग्रह | समास |
---|---|---|
गुरुदेव | गुरु रूपी देव – विशेषता | कर्मधारय समास |
प्रश्न— गुरुदेव का समास विग्रह क्या है ? |
उत्तर— गुरु रूपी देव – विशेषता |
प्रश्न – गुरुदेव में कौन-सा समास है ?
उत्तर – कर्मधारय समास
प्रश्न – कर्मधारय समास की परिभाषा बताइये ?
उत्तर – जिस समस्त-पद का बाद का या आखिरी का तथा उत्तरपद प्रधान हो तथा पूर्वपद व उत्तरपद में उपमान-उपमेय अथवा विशेषण विशेष्य संबंध हो, वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे – गुरुदेव, गुरु रूपी देव – विशेषता ।
प्रश्न – समास किसे कहते है?
उत्तर – दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नये शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते है।
प्रश्न – समास-विग्रह किसे कहते है?
उत्तर – जब समस्त पदो को अलग-अलग किया जाता है। तो उसे समास-विग्रह कहते है। पहला पद पूर्वपद कहा जाता है। और दूसरा पद उत्तरपद कहा जाता है। तथा इन दोनो का समास से बना नया शब्द समस्त पद कहलाता है।
प्रश्न – समास के कितने भेद होते है?
उत्तर – समास के कुल छ: भेद होते है-
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद्व समास
- बहुव्रीहि समास
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