Paryavaran Pradushan Par Nibandh | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में पढ़े।

 

प्रदूषण पर निबंध ( pradushan par nibandh ) :-    हमारे भारत में प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रहा है। वह चाहे वायु प्रदूषण हो चाहे सामाजिक प्रदूषण हो चाहे राजनैतिक प्रदूषण हो चाहे मृदा,जल व ध्वनि प्रदूषण हो ।

वायु प्रदूषण ( vayu pradushan ):- हमारे भारत में जन संख्या धनत्व अधिक होने के कारण लोग घने बागों जंगलों को काट काट करके अपने मकान बनवा रहे है। लोग बाग काटकर उसकी जमीन पर मकान बनवाकर तथा उसकी लकड़ी काट कर घरों में लगा रहे है।

एवं लकड़ी से फर्नीचर बनवा रहे है। जिसके कारण पेड़ो की कमी के कारण पेड़ो पर चिपकने वाले बिषैले तत्व खुले आम वायु में उड़ते रहते है। जो मानव जीवन में फेफडे़ को संक्रमित करते रहते है। जिसके कारण स्वसन तन्त्र में परेशानी पैदा रहती है। और मानव जीवन परेशान रहता है।

तथा पशुओं को चारा पानी नहीं मिल पाता है वन बग़ान कम होने के कारण मौसम प्रतिकुल रहता है। एवं बर्षा ऋतु पर बर्षा कम होती है तथा वे मौसम बर्षात होने के कारण किसान की फसल बर्बाद  हो जाती है। एवं गर्मी में सर्दी व सर्दी में गर्मी  हो जाती है।

जिससे विभिन्न प्रकार का संक्रमण बढ़ जाता है और मानव जीवन पर खतरा मड़राने लगता है। वायु प्रदूषण होने से घने बागान व जंगलो के कटने के कारण तापमान की अधिकता के कारण औजोन की परत छिन्न भिन्न होने लगी है। पहले हमें जंगलो  से जानवरों के लिए हरा चारा मिलता था जो बन्द हो गया है जिससे आवारा जीव जन्तु जानवर गाँव घरों में घूमते रहते है तथा किसान की फसल का नुकसान करते है।

जिसके कारण किसान रात दिन खेतो की रखवाली करता रहता है और नींद पूरी नहीं हो पाने के कारण अस्वस्थ होकर भी काम काज करता रहता है तथा फसल को बर्बादी से बचाने का प्रयास करते हुए विभिन्न प्रकार की कीटनाशक दवाओं का उपयोग करता है जो हवा में उड़कर वायु प्रदूषण को बढ़ाने का कार्य करती है तथा मानव जीवन में संक्रमण का कारण बनती है

कीटनाशक दवा से प्रयुक्त शाक सब्जी खाकर मनुष्य बीमार होकर असमय मृत्यु को प्राप्त हो जाता है कभी कभी लोग लौकी और करेला का जूस पीकर मर भी जाते है। तथा विषौले भोजन करने से मानव जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया है ।

सामाजिक प्रदूषण ( samajik pradushan ):- समाज में बहुत कुरीतिया आज भी फैली हुई है जैसे तीन तलाक है तथा बच्चों का शीघ्र विवाह आज भी समस्या बना हुआ है। एवं दहेज प्रथा बहुतायत रुप से प्रचिलत है लोग दहेज लेने के लिए बहुओं को जलाकर मार डालते है

दहेज प्रतिषेध अधिनिनिय के प्रभावी होते हुए भी लोग बहुओं को मार डालते है। तथा भ्रष्टाचार का सहारा लेकर वाद विवाद खड़ाकर के सजा होने से मुक्त होने का सर्वथा प्रयास करते है जिससे समाज में बहुत भ्रष्टाचार फलफूल रहा है

इसी प्रकार जाति पाति का भेद भाव करके बड़े बड़े नेता अभिनेता पक्षपात करके भारत में होने वाले विकास में पत्थर का कामकर रहे है। इसी प्रकार धार्मिक उन्माद के वशीभूत होकर लोग समाज के दुश्मन बनकर खड़े हो रहे है।

राजनैतिक प्रदूषण ( rajnaitik pradushan ):- हमारे भारत में राजनैतिक प्रदूषण बहुत भारी मात्रा में पनप रहा है। जो विदेशी  सहायता पर फल फूलकर भारत को नुकसान पहुँचा रहा है।

कुछ पार्टी विदेशी चगुल में फंसकर हमारे देश में राष्ट्र धर्म का पालन कर रही सरकार का एक जुट होकर विरोध करती है। परन्तु कामयाव नहीं हो पा रही है।

हमारे देश में उपयुक्त संशाधनों का प्रयोग करती सरकारों को कुछ विदेशी ताकतें नीचा दिखाने का प्रयास करती है। परन्तु सफल नहीं हो पाती है। जिसके कारण समाज में हमेशा राजनैतिक उथलपुथल रही है।

मृदा प्रदूषण ( mirda pradushan ):- जगलों व बागो के कट जाने के कारण वहा के जीव धारी किसानों की फसल बर्बाद करते है। जिसके बचाव के लिए किसान विभिन्न प्रकार के रसायन जमीन पर डालते /छिड़कते है जिससे मृदा का प्रदूषण फैल रहा है।

जल प्रदूषण ( jal pradushan ):- विभिन्न प्रकार के रसायन का छिड़काव व जमीन पर पड़ने से फिर बर्षात होने के कारण रसायन तालाबों व नदियों में जाकर गिरते है। जिससे जल खराब होकर प्रदूषित होता है। 

ध्वनि प्रदूषण ( dhwani pradushan ):- समाज में फैले अन्ध विश्वास के कारण लोग शादी विवाह समारोह व अन्य उत्सवों पर लाउडिस्पीकर का उपयोग करके बहुत ध्वनि प्रदूषण फैलाते है। जिनसे समाज में मानव जीवन व हितैषी जीव जन्तुओं का जीना दूभर हो रहा है।

 

उपरोक्त  पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध ( Pradushan Par Nibandh )  जो निबंध आप ने पढ़ने के अनुसार वायु प्रदूषण,सामजिक प्रदूषण,राजनैतिक प्रदूषण,मृदा प्रदूषण एवं जल प्रदूषण  व ध्वनि प्रदूषण को अगर न रोका गया तो जन जीवन अस्त व्यस्त हो जायेगा और उसका परिणाम बहुत घातक होगा।

 

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