वाक्य- परिभाषा व अंग , भेद
वाक्य की परिभाषा ( vakya ki paribhasha ) – सार्थक या उचित शब्दों के व्यवस्थित समूह जिससे कोई उचित अर्थ प्रकट होता है। उस शब्दों के व्यवस्थित समूह को वाक्य कहते है।
वाक्य के अंग ( vakya ke ang ) : – वाक्य के दो अंग होते है। प्रथम उद्देशय और दूसरा विधेय।
- उद्देशय– जिसके बारे में बात की जाती है। या जिसके बारे हम कुछ किसी को बताते है। उसे उद्देश्य कहते है।
उदाहरणः– (क) धनंजय खाना खाता है।
(ख) कुश दौड़ता है।
ऊपर के वाक्यों में धनंजय और कुश के बारे बताया गया है। इस लिए वे उद्देश्य है।
- विधेय– वाक्य के जिस भाग में उद्देश्य के बारे में बताया जाता है। उसे ही विधेय कहते है।
जैसे– धनंजय खाना खाता है। कुश दौड़ता है।
इन वाक्यों में खाना खाता है। और दौड़ता है। विधेय है।
वाक्य के भेद ( vakya ke bhed )
वाक्य के भेद हम दो आधार पर कर सकते है
प्रथम अर्थ के आधार वाक्य भेद और दूसरा रचना के आधार पर वाक्य भेद है।
- अर्थ के आधार पर- अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ अंग होते है।
- विधानवाचक वाक्य
- निषेधवाचक वाक्य
- आज्ञावाचक वाक्य
- प्रश्नवाचक वाक्य
- इच्छावाचक वाक्य
- संदेहवाचक वाक्य
- विस्मयवाचक वाक्य
- संकेतवाचक वाक्य
- रचना के आधार पर- इसके आधार तीन भेद होते है-
- साधारण वाक्य / सरल वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मिश्रित / मिश्र वाक्य
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